पाकिस्तान से छपने वाले उर्दू अख़बारों में इस हफ़्ते सबसे बड़ी ख़बर रही इमरान ख़ान के मंत्रिमंडल में फेरबदल की.
गुरुवार यानी 18 अप्रैल को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया कि कैबिनेट में फेरबदल कर पांच मंत्रियों के पोर्टफ़ोलियो को बदल दिया गया है.
इनमें सबसे प्रमुख नाम हैं वित्त मंत्री असद उमर और सूचना एंव प्रसारण मंत्री फ़व्वाद चौधरी.
पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तानी मीडिया में इस तरह की ख़बरें चल रहीं थीं कि कई मंत्रियों के कार्यभार में बदलाव हो सकता है. लेकिन उस समय सूचना एवं प्रसारण मंत्री फ़व्वाद चौधरी ने न केवल उन अटकलों को ख़ारिज कर दिया था बल्कि मीडिया से अपील की थी कि वो ज़िम्मेदारी से अपना काम करें क्योंकि उनके मुताबिक़ इस तरह की अफ़वाह फैलाने से देश का नुक़सान होता है.
अख़बार जंग ने मंत्रिमंडल में फेरबदल पर सुर्ख़ी लगाई है, ''केंद्रीय कैबिनेट के बुर्ज़ उलटा दिए गए.''
अख़बार के अनुसार, वित्त मंत्री असद उमर ने ख़ुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी. उनका कहना था, ''कैबिनेट रीशफ़ल में प्रधानमंत्री चाहते हैं कि मैं वित्त मंत्रालय की जगह ऊर्जा मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभाल लूं. लेकिन मैंने उनकी मर्ज़ी से फ़ैसला किया है कि मैं कोई भी मंत्रालय नहीं लूंगा.''
इमरान ख़ान के नेतृत्व पर पूर्ण विश्वास जताते हुए उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान पाकिस्तान की सबसे बड़ी उम्मीद हैं और नया पाकिस्तान ज़रूर बनेगा.
असद उमर को ऐसे समय में वित्त मंत्रालय से हटाया गया है जब पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज देने पर आईएमएफ़ से पाकिस्तान की बातचीत चल रही है.
अख़बार जंग के मुताबिक़, असद उमर ने इस्तीफ़ा देने के बाद प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि उन्हें एक रात पहले ही पता चला कि उनको वित्त मंत्रालय से हटाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वो अपने कार्यकाल में कामयाब रहे या नाकाम इसका फ़ैसला इतिहास करेगा.
उन्होंने कहा कि संभव है कि इमरान ख़ान को लगा हो कि उन पर जो दबाव है किसी नए चेहरे से वो दबाव कम हो. उन्होंने कहा कि पांच साल के बाद लोग ख़ुद कहेंगे कि इमरान ख़ान जो कहता था, कर दिखाया.
असद उमर को वित्त मंत्रालय से हटाए जाने पर विपक्ष ने इमरान ख़ान को घेरने की कोशिश की है.
अख़बार एक्सप्रेस के अनुसार, विपक्षी मुस्लिम लीग (नवाज़ गुट) ने असद उमर के इस्तीफ़े को इमरान सरकार की वित्तीय नीति की नाकामी क़रार दिया है.
पार्टी के अध्यक्ष शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि इमरान ख़ान को अपनी ज़िद और घमंड छोड़कर अर्थव्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए.र उन्होंने कहा कि अगर और वक़्त बर्बाद किया गया तो देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर परिणाम झेलने पड़ेंगे.
पार्टी के एक और नेता हमज़ा शहबाज़ ने कहा कि इमरान ख़ान को भी इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.
हमज़ा शहबाज़ का कहना था, ''खिलाड़ी बदलने से अर्थव्यवस्था का मैच नहीं जीता जा सकता. खिलाड़ी नहीं, कप्तान बदलना पड़ेगा. असद उमर का इस्तीफ़ा इमरान ख़ान की अपनी अयोग्यता की स्वीकृति है.''
अख़बार जंग के अनुसार, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के चेयरमैन बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने कहा कि इमरान सरकार को आठ महीने के बाद एहसास हुआ कि उसकी आर्थिक नीति ग़लत है.
पीपीपी के प्रवक्ता मुस्तफ़ा नवाज़ खोखर ने क्रिकेट की ज़ुबान में इमरान ख़ान पर हमला करते हुए कहा, ''देश को मुबारक हो. पीपीपी की मांग पर सरकार की पहली विकेट गिर गई. सरकार की दूसरी विकटें भी जल्द गिर जाएंगी. सरकार की पूरी टीम 50 ओवर से पहले ही पैवेलियन लौट जाएगी.''
अख़बार दुनिया का कहना है कि वित्त मंत्री असद उमर प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और कैबिनेट के अधिकतर सहयोगियों का विश्वास खो चुके थे इसलिए उन्हें हटाया गया.
इमरान ख़ान ने अपने फ़ैसले का जमकर बचाव किया है.
अख़बार नवा-ए-वक़्त के अनुसार, एक जलसे को संबोधित करते हुए इमरान ख़ान ने कहा कि जो मंत्री देश के लिए ठीक नहीं होगा उन्हें वो बदल देंगे.
इमरान का कहना था, ''सब सुन लें. जो मंत्री मुल्क के लिए फ़ायदेमंद नहीं होगा उसे बदल दूंगा. मैंने टीम का बैटिंग ऑर्डर चेंज किया है. मेरा उद्देश्य क़ौम को जितवाना है. उस मंत्री को लाउंगा जो क़ौम के लिए फ़ायदेमंद होगा.''
पाकिस्तान में बलोचिस्तान प्रांत के ग्वादर ज़िले में चरमपंथियों ने बस से उतारकर नौ नैसैनिकों समेत कुल 14 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी है.
ये ख़बर भी सारे अख़बारों के पहले पन्ने पर बनी रही. पाकिस्तान ने इस मामले में भारत को घेरन की कोशिश की है.
अख़बार दुनिया के अनुसार पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉक्टर फ़ैसल ने कहा कि 'बलोचिस्तान में दहशतगर्दी में पहले भी भारत का हाथ था और अगर अब भी हुआ तो बेनक़बा कर देंगे.'
एक अन्य ख़बर में पाकिस्तान ने फ़ैसला किया है कि इस साल सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जन्म तिथि पर डाक टिकट जारी किया जाएगा.
Monday, April 22, 2019
Tuesday, April 16, 2019
IPL: हार का दूसरा नाम क्यों बन गई है विराट कोहली की बैंगलोर रॉयल चैलेंजर्स?
सोमवार को आईपीएल-12 के मुक़ाबले में मुंबई की बल्लेबाज़ी के दौरान बैंगलोर के गेंदबाज़ मोहम्मद सिराज जब अपना दूसरा और पारी का 18वां ओवर कर रहे थे तब कवर में खड़े कप्तान विराट कोहली के पास एक शॉट आया और उसे रोकने की कोशिश में गेंद उनके हाथ से फिसल गई.
निराश विराट कोहली ने जैसे-तैसे उसे संभाला और फिर ग़ुस्से में पांव से सरका दिया.
यह मंज़र बता रहा था कि विराट कोहली अपनी टीम के प्रदर्शन से कितने निराश है.
डगआउट में उनकी टीम के कोच आशीष नेहरा का चेहरा भी उतरा हुआ था.
जीत के लिये 172 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही मुंबई इंडियंस के सामने आख़िरी दो ओवर में 22 रन बनाने की चुनौती थी.
नेगी का सामना कर रहे थे हार्दिक पांड्या और उन्होंने अकेले ही इस ओवर में मैच का फ़ैसला कर दिया.
नेगी की पहली गेंद पर तो कोई रन नही बना लेकिन अगली गेंदों पर हार्दिक पांड्या का बल्ला ऐसा गरजा कि बैंगलोर के फ़ील्डर आंखे फाड़े देखते रह गए.
पांड्या ने नेगी की दूसरी गेंद पर लॉन्ग ऑफ़ पर ज़ोरदार छक्का लगाया.
तीसरी गेंद को पांड्या ने एक्स्ट्रा कवर बाउंड्री लाइन के बाहर चार रन के लिए भेजा.
चौथी गेंद पर भी पांड्या ने चौका उड़ाया.
पांचवी गेंद को पांड्या ने बेहद ज़ोरदार शॉट के ज़रिए लॉन्ग ऑन पर छक्के की राह दिखाई.
इसके बाद तो बस जीत की ओपचारिकता ही रह गई थी.
आखिरी गेंद पर एक रन के साथ मुंबई ने यह मैच 19 ओवर में पांच विकेट खोकर हासिल कर लिया.
हार्दिक पांड्या 16 गेंदों पर पांच चौके और दो छक्कों की मदद से 37 रन बनाकर नाबाद रहे.
उनके अलावा सलामी बल्लेबाज़ क्विंटन डी कॉक ने 40, कप्तान रोहित शर्मा ने 28, सूर्यकुमार यादव ने 29 और ईशान किशन ने भी 21 रन का योगदान दिया.
इससे पहले रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी की दावत पाकर एबी डिविलियर्स के 75 और मोईन अली के 50 रनों की मदद से निर्धारित 20 ओवर में सात विकेट खोकर 171 रन बनाए.
डिविलियर्स और मोईन अली के अलावा सलामी बल्लेबाज़ पार्थिव पटेल ने 28 रन बनाए.
बाकी बल्लेबाज़ों का तो ये हाल था कि ख़ुद कप्तान विराट कोहली आठ और आकाशदीप नाथ दो रन बना सके.
मारकस स्टॉयनिस और पवन नेगी के बल्ले से कोई रन नहीं निकला.
मुंबई के लसिथ मलिंगा ने अपनी पुरानी रंगत दिखाते हुए 31रन देकर चार विकेट झटके.
आखिरकार लगातार एक के बाद एक हार के बाद के भी बैंगलोर की टीम कप्तान विराट कोहली, एबी डिविलियर्स, स्टोइनिस, मोईन अली और युज़वेंद्र चहल जैसे ख़िलाड़ियों के होते हुए भी संभल क्यों नही सकी.
इस सवाल के जवाब ने क्रिकेट समीक्षक विजय लोकपल्ली कहते हैं कि पहले अगर मुंबई के ख़िलाफ़ हुए मैच की बात करें तो जिस ओवर में हार्दिक पांड्या ने तूफानी बल्लेबाज़ी की, वह ओवर पवन नेगी को देना ही नहीं चाहिए था.से बाहर हो जाएगी.
निराश विराट कोहली ने जैसे-तैसे उसे संभाला और फिर ग़ुस्से में पांव से सरका दिया.
यह मंज़र बता रहा था कि विराट कोहली अपनी टीम के प्रदर्शन से कितने निराश है.
डगआउट में उनकी टीम के कोच आशीष नेहरा का चेहरा भी उतरा हुआ था.
जीत के लिये 172 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रही मुंबई इंडियंस के सामने आख़िरी दो ओवर में 22 रन बनाने की चुनौती थी.
नेगी का सामना कर रहे थे हार्दिक पांड्या और उन्होंने अकेले ही इस ओवर में मैच का फ़ैसला कर दिया.
नेगी की पहली गेंद पर तो कोई रन नही बना लेकिन अगली गेंदों पर हार्दिक पांड्या का बल्ला ऐसा गरजा कि बैंगलोर के फ़ील्डर आंखे फाड़े देखते रह गए.
पांड्या ने नेगी की दूसरी गेंद पर लॉन्ग ऑफ़ पर ज़ोरदार छक्का लगाया.
तीसरी गेंद को पांड्या ने एक्स्ट्रा कवर बाउंड्री लाइन के बाहर चार रन के लिए भेजा.
चौथी गेंद पर भी पांड्या ने चौका उड़ाया.
पांचवी गेंद को पांड्या ने बेहद ज़ोरदार शॉट के ज़रिए लॉन्ग ऑन पर छक्के की राह दिखाई.
इसके बाद तो बस जीत की ओपचारिकता ही रह गई थी.
आखिरी गेंद पर एक रन के साथ मुंबई ने यह मैच 19 ओवर में पांच विकेट खोकर हासिल कर लिया.
हार्दिक पांड्या 16 गेंदों पर पांच चौके और दो छक्कों की मदद से 37 रन बनाकर नाबाद रहे.
उनके अलावा सलामी बल्लेबाज़ क्विंटन डी कॉक ने 40, कप्तान रोहित शर्मा ने 28, सूर्यकुमार यादव ने 29 और ईशान किशन ने भी 21 रन का योगदान दिया.
इससे पहले रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी की दावत पाकर एबी डिविलियर्स के 75 और मोईन अली के 50 रनों की मदद से निर्धारित 20 ओवर में सात विकेट खोकर 171 रन बनाए.
डिविलियर्स और मोईन अली के अलावा सलामी बल्लेबाज़ पार्थिव पटेल ने 28 रन बनाए.
बाकी बल्लेबाज़ों का तो ये हाल था कि ख़ुद कप्तान विराट कोहली आठ और आकाशदीप नाथ दो रन बना सके.
मारकस स्टॉयनिस और पवन नेगी के बल्ले से कोई रन नहीं निकला.
मुंबई के लसिथ मलिंगा ने अपनी पुरानी रंगत दिखाते हुए 31रन देकर चार विकेट झटके.
आखिरकार लगातार एक के बाद एक हार के बाद के भी बैंगलोर की टीम कप्तान विराट कोहली, एबी डिविलियर्स, स्टोइनिस, मोईन अली और युज़वेंद्र चहल जैसे ख़िलाड़ियों के होते हुए भी संभल क्यों नही सकी.
इस सवाल के जवाब ने क्रिकेट समीक्षक विजय लोकपल्ली कहते हैं कि पहले अगर मुंबई के ख़िलाफ़ हुए मैच की बात करें तो जिस ओवर में हार्दिक पांड्या ने तूफानी बल्लेबाज़ी की, वह ओवर पवन नेगी को देना ही नहीं चाहिए था.से बाहर हो जाएगी.
Tuesday, April 9, 2019
आईपीएल-12: केएल राहुल ने पिछली हार का पंजाब का कर्ज़ उतारा
आईपीएल-12 में सोमवार को मोहाली में जब मेज़बान किंग्स इलेवन पंजाब और सनराइज़र्स हैदराबाद आमने-सामने थे तो अंतिम ओवर में दर्शकों का शोर पूरे उफान पर था.
इस ओवर में पंजाब को जीत के लिए 11 रन की ज़रूरत थी.
मैदान में सैम करेन और केएल राहुल थे. राहुल को चौथी गेंद पर स्ट्राइक मिली.
उन्होंने आखिरी ओवर कर रहे मोहम्मद नबी के ऊपर से ऊंचा शॉट खेलकर चौका लगाया, और उसके बाद अगली गेंद पर दो रन लेकर पंजाब को जीत दिला दी.
दूसरी तरफ सैम करेन भी नबी की शुरूआती तीन गेंदों पर पांच रन बना चुके थे.
इस मैच में पजांब के सामने जीत के लिए 151 रनों का लक्ष्य था जो उसने केएल राहुल के नाबाद 71 और मयंक अग्रवाल के 55 रनों की मदद से 19.5 ओवर में चार विकेट खोकर हासिल किया.
इससे पहले हैदराबाद ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए निर्धारित 20 ओवर में डेविड वार्नर के नाबाद 70 रन की मदद से चार विकेट खोकर 150 रन बनाए.
ज़ाहिर है कि जिस विकेट पर पारी की शुरूआत से अंतिम ओवर तक 62 गेंदों पर छह चौके और एक छक्के की मदद से नाबाद 70 रन बनाने वाले हैदराबाद के अलावा कोई और बल्लेबाज़ अधिक रन नही बना सका तो पंजाब ने गेंदबाज़ी तो शानदार की ही होगी.
कम स्कोर वाले मैच में एक समय तो हैदराबाद की हालत यह थी कि 10.4 ओवर के बाद उसका स्कोर दो विकेट खोकर केवल 56 रन था.
तब ऐसा लग रहा था कि हैदराबाद की यह धीमी रन गति कहीं हार का कारण ना बन जाए.
आखिरकार यह आशंका सच भी निकली.
हांलाकि हैदराबाद ने अंतिम 10 ओवर में 100 रन भी जोड़े और स्कोर को जैसे-तैसे चार विकेट पर 150 रन तक पहुंचाया.
मैच के बाद पंजाब के कप्तान आर अश्विन नें भी माना कि उनके गेंदबाज़ बाद में वार्नर और दूसरे बल्लेबाज़ों को नहीं रोक पाए लेकिन शुरू में मुजीब उर रहमान और अंकित राजपूत के अलावा सैम करेन ने शानदार गेंदबाज़ी की.
खैर जो भी हो इस मैच में पंजाब की जीत से सबसे अधिक खुशी अगर किसी खिलाड़ी को हुई तो वह केएल राहुल ही थे.
मैन ऑफ द मैच बने केएल राहुल ने 53 गेंदों पर सात चौके और एक छक्के की मदद से नाबाद 71 रन बनाए. उन्हें इस दौरान मंयक अग्रवाल का भी बेहतरीन साथ मिला.
शुरू में ही क्रिस गेल जब 16 रन बनाकर आउट हो गए तब पंजाब का स्कोर केवल 18 रन था.
उसके बाद मयंक अग्रवाल और केएल राहुल ने मिलकर दूसरे विकेट के लिए 114 रन जोड़कर हैदराबाद के हाथ से मैच खींच लिया.
मयंक अग्रवाल ने 43 गेंदों पर तीन चौके और तीन छक्कों की मदद से 55 रन बनाए.
वैसे मयंक अग्रवाल और केएल राहुल साल 2010 में न्यूज़ीलैंड में आयोजित हुए अंडर-19 विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट में भी खेल चुके है.
हांलाकि तब भारत छठे स्थान पर रहा था लेकिन मयंक अग्रवाल अपने बल्ले से ख़ासे कामयाब रहे थे.
दरअसल केएल राहुल इसलिए खुश हुए होंगे क्योंकि अगर कहीं पंजाब इस मैच को भी हार जाता तो फिर केएल राहुल के लिए जवाब देना मुश्किल हो जाता.
दरअसल पिछले मैच में उन्होंने जिस सुस्त रफ़्तार से चेन्नई के ख़िलाफ़ 47 गेंदों पर 55 रन बनाए उसे पंजाब की हार का कारण माना गया.
चेन्नई के ख़िलाफ़ जीत के लिए 161 रनों की तलाश में पंजाब तीन विकेट खोकर 138 रन ही बना सकी और 22 रन से हार गई.
उनके साथ सरफ़राज़ खान भी आलोचना का शिकार बने. सरफ़राज़ खान ने भी सुस्त रफ़्तार से 59 गेंदों पर 67 रन बनाए थे.
दूसरी तरफ हैदराबाद के डेविड वार्नर और विजय शंकर की हालत अब बिलकुल केएल राहुल और सरफ़राज़ खान जैसी हो गई है.
इन दोनो के बीच दूसरे विकेट के लिए 49 रनों की साझेदारी ज़रूर हुई लेकिन जब विजय शंकर दूसरे विकेट के रूप में आउट हुए तब हैदराबाद का स्कोर 10.4 ओवर में केवल 56 रन था.
इससे पहले जॉनी बेयरस्टो दूसरे ओवर की चौथी गेंद पर केवल एक रन बनाकर मुजीब उर रहमान की गेंद पर आर अश्विन के हाथों कैच हुए थे.
शायद इसी लिए क्रिकेट को अनिश्तितता के साथ-साथ बेरहम खेल भी कहा जाता है.
किसी मैच का विलेन माने जाने वाला खिलाड़ी अगले ही मैच में हीरो बन जाता है तो कोई स्टार खिलाड़ी हार का कारण बन जाता है.
गेंद से छेड़छाड़ के मामले से मुक्त होकर वार्नर का बल्ला इससे पहले इस बार ख़ूब गरजा है.
वार्नर ने कोलकाता के ख़िलाफ़ 85, राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ 69 और बैंग्लोर के ख़िलाफ़ नाबाद 100 रन बनाए.
वैसे वार्नर के साथ धीमी बल्लेबाज़ी करने वाले विजय शंकर ने कहा कि शुरू में पंजाब के गेंदबाज़ो को खेलना मुश्किल था. उन्होंने वार्नर के साथ मिलकर रणनीति बनाई कि विकेट बचाए जाए और बाद में तेज़ खेला जाए.
विजय शंकर 27 गेंद खेलकर 26 रन ही बना सके.
जो भी हो इस जीत से केएल राहुल की पिछले मैच की ग़लती सुधर गई और पंजाब छठे मैच में चौथी जीत हासिल करने में कामयाब रहा.
दूसरी तरफ सनराइजर्स हैदराबाद की छह मैचों में यह तीसरी हार रही.
कमाल का संयोग है वार्नर के 70 रनों से केवल एक रन की अधिक यानि नाबाद 71 रन की पारी ने केएल राहुल का पिछला दाग़ धो दिया.
इस ओवर में पंजाब को जीत के लिए 11 रन की ज़रूरत थी.
मैदान में सैम करेन और केएल राहुल थे. राहुल को चौथी गेंद पर स्ट्राइक मिली.
उन्होंने आखिरी ओवर कर रहे मोहम्मद नबी के ऊपर से ऊंचा शॉट खेलकर चौका लगाया, और उसके बाद अगली गेंद पर दो रन लेकर पंजाब को जीत दिला दी.
दूसरी तरफ सैम करेन भी नबी की शुरूआती तीन गेंदों पर पांच रन बना चुके थे.
इस मैच में पजांब के सामने जीत के लिए 151 रनों का लक्ष्य था जो उसने केएल राहुल के नाबाद 71 और मयंक अग्रवाल के 55 रनों की मदद से 19.5 ओवर में चार विकेट खोकर हासिल किया.
इससे पहले हैदराबाद ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए निर्धारित 20 ओवर में डेविड वार्नर के नाबाद 70 रन की मदद से चार विकेट खोकर 150 रन बनाए.
ज़ाहिर है कि जिस विकेट पर पारी की शुरूआत से अंतिम ओवर तक 62 गेंदों पर छह चौके और एक छक्के की मदद से नाबाद 70 रन बनाने वाले हैदराबाद के अलावा कोई और बल्लेबाज़ अधिक रन नही बना सका तो पंजाब ने गेंदबाज़ी तो शानदार की ही होगी.
कम स्कोर वाले मैच में एक समय तो हैदराबाद की हालत यह थी कि 10.4 ओवर के बाद उसका स्कोर दो विकेट खोकर केवल 56 रन था.
तब ऐसा लग रहा था कि हैदराबाद की यह धीमी रन गति कहीं हार का कारण ना बन जाए.
आखिरकार यह आशंका सच भी निकली.
हांलाकि हैदराबाद ने अंतिम 10 ओवर में 100 रन भी जोड़े और स्कोर को जैसे-तैसे चार विकेट पर 150 रन तक पहुंचाया.
मैच के बाद पंजाब के कप्तान आर अश्विन नें भी माना कि उनके गेंदबाज़ बाद में वार्नर और दूसरे बल्लेबाज़ों को नहीं रोक पाए लेकिन शुरू में मुजीब उर रहमान और अंकित राजपूत के अलावा सैम करेन ने शानदार गेंदबाज़ी की.
खैर जो भी हो इस मैच में पंजाब की जीत से सबसे अधिक खुशी अगर किसी खिलाड़ी को हुई तो वह केएल राहुल ही थे.
मैन ऑफ द मैच बने केएल राहुल ने 53 गेंदों पर सात चौके और एक छक्के की मदद से नाबाद 71 रन बनाए. उन्हें इस दौरान मंयक अग्रवाल का भी बेहतरीन साथ मिला.
शुरू में ही क्रिस गेल जब 16 रन बनाकर आउट हो गए तब पंजाब का स्कोर केवल 18 रन था.
उसके बाद मयंक अग्रवाल और केएल राहुल ने मिलकर दूसरे विकेट के लिए 114 रन जोड़कर हैदराबाद के हाथ से मैच खींच लिया.
मयंक अग्रवाल ने 43 गेंदों पर तीन चौके और तीन छक्कों की मदद से 55 रन बनाए.
वैसे मयंक अग्रवाल और केएल राहुल साल 2010 में न्यूज़ीलैंड में आयोजित हुए अंडर-19 विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट में भी खेल चुके है.
हांलाकि तब भारत छठे स्थान पर रहा था लेकिन मयंक अग्रवाल अपने बल्ले से ख़ासे कामयाब रहे थे.
दरअसल केएल राहुल इसलिए खुश हुए होंगे क्योंकि अगर कहीं पंजाब इस मैच को भी हार जाता तो फिर केएल राहुल के लिए जवाब देना मुश्किल हो जाता.
दरअसल पिछले मैच में उन्होंने जिस सुस्त रफ़्तार से चेन्नई के ख़िलाफ़ 47 गेंदों पर 55 रन बनाए उसे पंजाब की हार का कारण माना गया.
चेन्नई के ख़िलाफ़ जीत के लिए 161 रनों की तलाश में पंजाब तीन विकेट खोकर 138 रन ही बना सकी और 22 रन से हार गई.
उनके साथ सरफ़राज़ खान भी आलोचना का शिकार बने. सरफ़राज़ खान ने भी सुस्त रफ़्तार से 59 गेंदों पर 67 रन बनाए थे.
दूसरी तरफ हैदराबाद के डेविड वार्नर और विजय शंकर की हालत अब बिलकुल केएल राहुल और सरफ़राज़ खान जैसी हो गई है.
इन दोनो के बीच दूसरे विकेट के लिए 49 रनों की साझेदारी ज़रूर हुई लेकिन जब विजय शंकर दूसरे विकेट के रूप में आउट हुए तब हैदराबाद का स्कोर 10.4 ओवर में केवल 56 रन था.
इससे पहले जॉनी बेयरस्टो दूसरे ओवर की चौथी गेंद पर केवल एक रन बनाकर मुजीब उर रहमान की गेंद पर आर अश्विन के हाथों कैच हुए थे.
शायद इसी लिए क्रिकेट को अनिश्तितता के साथ-साथ बेरहम खेल भी कहा जाता है.
किसी मैच का विलेन माने जाने वाला खिलाड़ी अगले ही मैच में हीरो बन जाता है तो कोई स्टार खिलाड़ी हार का कारण बन जाता है.
गेंद से छेड़छाड़ के मामले से मुक्त होकर वार्नर का बल्ला इससे पहले इस बार ख़ूब गरजा है.
वार्नर ने कोलकाता के ख़िलाफ़ 85, राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ 69 और बैंग्लोर के ख़िलाफ़ नाबाद 100 रन बनाए.
वैसे वार्नर के साथ धीमी बल्लेबाज़ी करने वाले विजय शंकर ने कहा कि शुरू में पंजाब के गेंदबाज़ो को खेलना मुश्किल था. उन्होंने वार्नर के साथ मिलकर रणनीति बनाई कि विकेट बचाए जाए और बाद में तेज़ खेला जाए.
विजय शंकर 27 गेंद खेलकर 26 रन ही बना सके.
जो भी हो इस जीत से केएल राहुल की पिछले मैच की ग़लती सुधर गई और पंजाब छठे मैच में चौथी जीत हासिल करने में कामयाब रहा.
दूसरी तरफ सनराइजर्स हैदराबाद की छह मैचों में यह तीसरी हार रही.
कमाल का संयोग है वार्नर के 70 रनों से केवल एक रन की अधिक यानि नाबाद 71 रन की पारी ने केएल राहुल का पिछला दाग़ धो दिया.
पाकिस्तान में इस प्लेकार्ड पर क्यों मचा है हंगामा?
जब रुमिसा लखानी और रशीदा शब्बीर हुसैन ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर एक पोस्ट बनाया, उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि ये उन्हें पाकिस्तान में तीखी बहस के केंद्र में ला देगा.
कार्यक्रम के एक दिन पहले 22 साल की दोनों छात्राओं ने कराची के अपने विश्वविद्यालय में पोस्टर बनाने की एक वर्कशॉप में हिस्सा लिया.
वो ऐसा पोस्टर बनाना चाहती थीं जो लोगों का ध्यान आकर्षत करे और उन्होंने अनोखे आइडिया पर सोचना शुरू किया.
उनकी दोस्त अपने दोनों पैरों को फैला कर बैठी थी और इसी से प्रेरित होकर रुमिसा और रशीदा ने एक पोस्टर बनाया.
महिलाएं किस तरह बैठें, ये रूमिसा के लिए एक मुद्दा रहा है. वो कहती हैं, "हमसे सौम्यता की अपेक्षा की जाती है, हमें इस बात की चिंता करनी पड़ती है कि हमारे शरीर का आकार न दिखे. पुरुष चाहे पैर फैला कर बैठें, किसी का ध्यान नहीं जाता. "
रुमिसा के पोस्टर में एक महिला पैर फैला कर बैठी हुई है और धूप के चश्मे के पीछे बेझिझक हंस रही है.
उनकी क़रीबी दोस्त रशीदा ने इसके लिए एक नारा दिया. रशीदा चाहती थीं कि लोगों का इस बात पर ध्यान जाए कि महिलाओं को ये बताया जाता है कि "उन्हें कैसे बठना चाहिए, कैसे चलना चाहिए, कैसे बात करनी चाहिए. "
इसलिए उन्होंने इसका शीर्षक दिया, "यहां, मैं बिल्कुल सही तरीके से बैठी हूं." हबीब यूनिवर्सिटी में अपने पहले साल में रुमिसा और रशीदा के बीच दोस्ती हुई थी. रुमिसा कम्युनिकेशन डिज़ाइन की जबकि रशीदा सोशल डेवलपमेंट एंड पॉलिसी की पढ़ाई करती हैं.
लैंगिक भेदभाव से जुड़े अपने निजी अनुभवों के आधार पर, वो महिला अधिकारों को लेकर अपने विचारों पर भी बातचीत करती हैं.
शादी करने के लगातार दबाव का सामना करना रुमिसा के लिए रोज़ का संघर्ष है. उन्हें लगता है कि अभी तक शादी न करना उनकी निजी जीत है.
रशीदा कहती हैं कि सड़कों पर वो लगातार उत्पीड़न झेलती हैं. शादी करके घर बसा लेने की उम्मीद उन्हें असहज बना देती है.
इसीलिए पिछले महीने पूरे पाकिस्तान में महिलाओं के लिए हुए मार्च 'औरत' में दोनों हिस्सा लेना चाहती थीं. रुमिसा कहती हैं कि अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठातीं अधिकांश महिलाओं के साथ होना एक बेहतरीन एहसास था.
देश के महिला अधिकार आंदोलनों में 'वुमेन मार्च' एक बड़ा आंदोलन था. इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं, यहां तक की एलजीबीटी समुदाय के लोग भी थे.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम ने 2018 में पाकिस्तान को दुनिया के 149 देशों में लैंगिक समानता के मामले में बदतर रैंकिंग में बताया था.
पाकिस्तान में महिलाओं को घरेलू हिंसा, ज़बरन शादी, लैंगिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. यहां तक कि वो ऑनर किलिंग का शिकार भी हो सकती हैं.
मार्च में कुछ प्लेकार्ड और पोस्टरों में लैंगिक मुद्दों को उठाया गया था और इस संकीर्ण समाज में इसने एक तीखी बहस शुरु कर दी.
मार्च के आयोजकों में से एक मोनीज़ा कहा कहना है, "हम महिलाओं की सेक्सुअलिटी को निर्धारित करने को चुनौती दे रहे थे. धार्मिक समाज में एक धारणा होती है कि महिलाओं को खुद को ढंक कर और घर में रहना चाहिए. हम इसे चुनौती दे रहे हैं."
वो कहती हैं, "सड़क पर ऊंची आवाज़ में ऐसा करना लोगों को असहज कर गया. लोगों को लगा कि ये इस्लाम के लिए ख़तरा है, हालांकि, हमें ऐसा नहीं लगता. मुझे लगता है कि इस्लाम स्त्रीवादी धर्म है."
प्रदर्शन से घर वापस आते वक्त ही रुमिसा को लग गया था कि प्लेकार्ड के साथ उनकी तस्वीर वायरल हो गई है.
फ़ेसबुक पर एक टिप्पणी थी, "अपनी बेटियों के लिए ऐसे समाज की मुझे ज़रूरत नहीं." जबकि एक दूसरी टिप्पणी में कहा गया था, "मैं एक महिला हूं लेकिन निश्चित रूप से ये मुझे अच्छा नहीं लगा. " एक और टिप्पणी में कहा गया, "ये महिला दिवस था, कुतिया दिवस नहीं."
हालांकि, बहुत से लोगों ने इस प्लेकार्ड का समर्थन भी किया.
एक महिला ने लिखा, "सही में मैं नहीं समझ पा रही हूं कि पोस्ट पर लिखे शब्दों से लोग क्यों डरे हुए हैं जबकि उन्हें पाकिस्तान में महिलाओं की गुलामी पर शर्म आनी चाहिए."
रुमिसा को उसके जानने वालों के संदेश मिले, "हमें भरोसा नहीं हो रहा कि तुमने ऐसा किया. तुम एक अच्छे परिवार से आती हो."
दूर के रिश्तेदारों ने रुमिसा के मां बाप से कहा कि उसे इस तरह के प्रदर्शनों में नहीं जाने देना चाहिए.
हालांकि, तमाम दबावों के बावजूद परिजनों ने रुमिसा का साथ दिया.
प्रदर्शन के दौरान एक और पोस्टर पर लिखा था, "मेरा शरीर, मेरा चुनाव." समा टीवी चैनल के अनुसार, कराची के एक मौलवी ने इसकी निंदा की.
कथित रूप से ऑनलाइन वीडियो में डॉ. मंज़ूर अहमद मेंगल ने कहा, "मेरा शरीर, मेरा चुनाव...आपका शरीर आपका चुनाव...तो फिर पुरुषों का शरीर पुरुषों का चुनाव ...वे जिस पर चाहें चढ़ सकते हैं." उन पर रेप के लिए उकसाने के आरोप लगे.
मोनीज़ा कहती हैं, "उस प्रदर्शन के बाद रेप और जान से मारने की धमकी आम हो गई है." वो कहती हैं, "सोशल मीडिया पर आलोचनाओं के साथ ही अधिकांश आयोजकों को रेप की धमकी मिली."
यहां तक कि इस प्रदर्शन ने देश के स्त्रीवादी आंदोलनों में भी दरार पैदा कर दी. सोशल मीडिया पर की गई आलोचनाओं में कई स्वयंभू स्त्रीवादियों ने भी हिस्सा लिया. उनका कहना था, "ये जायज़ मुद्दा नहीं है, महिलाएं इस तरह व्यवहार करें, ये कोई तरीका नहीं है."
रुमिसा कहती हैं, "मेरे अपने दोस्त, जो खुद को फ़ेमिनिस्ट कहते हैं, उन्हें लगा कि ये पोस्टर गैरज़रूरी था."
एक प्रमुख स्त्रीवादी किश्वर नहीद ने कहा कि उन्हें लगता है कि रुमिसा और रशीदा का प्लेकार्ड और उनकी तरह के और पोस्टर परम्परा और मूल्यों का अपमान थे.
उन्होंने कहा कि जो सोचते हैं कि इस तरह के पोस्टरों से वो और अधिकार हासिल कर लेंगे, वो दिग्भ्रमित जिहादी हैं, जो सोचते हैं कि निर्दोष लोगों की हत्या कर वे स्वर्ग चले जाएंगे.
हालांकि, अख़बार डॉन में सादिया खत्री ने एक लेख लिख कर किश्वर पर स्त्रीवादियों को बदनाम करने का आरोप लगाया.
विवादों के बावजूद रुमिसा को पोस्टर बनाने पर अफसोस नहीं है, "मुझे खुशी है कि मेरे पोस्टर ने बहुत सारे लोगों का ध्यान आकर्षित किया."
वो कहती हैं, "इससे मुझे शर्म या डर नहीं है, यही कारण है कि हमने उस तरह के नारे का इस्तेमाल किया क्योंकि हम चाहते थे कि महिला मार्च और इससे जुड़े मुद्दों पर लोगों का ध्यान जाए."
कार्यक्रम के एक दिन पहले 22 साल की दोनों छात्राओं ने कराची के अपने विश्वविद्यालय में पोस्टर बनाने की एक वर्कशॉप में हिस्सा लिया.
वो ऐसा पोस्टर बनाना चाहती थीं जो लोगों का ध्यान आकर्षत करे और उन्होंने अनोखे आइडिया पर सोचना शुरू किया.
उनकी दोस्त अपने दोनों पैरों को फैला कर बैठी थी और इसी से प्रेरित होकर रुमिसा और रशीदा ने एक पोस्टर बनाया.
महिलाएं किस तरह बैठें, ये रूमिसा के लिए एक मुद्दा रहा है. वो कहती हैं, "हमसे सौम्यता की अपेक्षा की जाती है, हमें इस बात की चिंता करनी पड़ती है कि हमारे शरीर का आकार न दिखे. पुरुष चाहे पैर फैला कर बैठें, किसी का ध्यान नहीं जाता. "
रुमिसा के पोस्टर में एक महिला पैर फैला कर बैठी हुई है और धूप के चश्मे के पीछे बेझिझक हंस रही है.
उनकी क़रीबी दोस्त रशीदा ने इसके लिए एक नारा दिया. रशीदा चाहती थीं कि लोगों का इस बात पर ध्यान जाए कि महिलाओं को ये बताया जाता है कि "उन्हें कैसे बठना चाहिए, कैसे चलना चाहिए, कैसे बात करनी चाहिए. "
इसलिए उन्होंने इसका शीर्षक दिया, "यहां, मैं बिल्कुल सही तरीके से बैठी हूं." हबीब यूनिवर्सिटी में अपने पहले साल में रुमिसा और रशीदा के बीच दोस्ती हुई थी. रुमिसा कम्युनिकेशन डिज़ाइन की जबकि रशीदा सोशल डेवलपमेंट एंड पॉलिसी की पढ़ाई करती हैं.
लैंगिक भेदभाव से जुड़े अपने निजी अनुभवों के आधार पर, वो महिला अधिकारों को लेकर अपने विचारों पर भी बातचीत करती हैं.
शादी करने के लगातार दबाव का सामना करना रुमिसा के लिए रोज़ का संघर्ष है. उन्हें लगता है कि अभी तक शादी न करना उनकी निजी जीत है.
रशीदा कहती हैं कि सड़कों पर वो लगातार उत्पीड़न झेलती हैं. शादी करके घर बसा लेने की उम्मीद उन्हें असहज बना देती है.
इसीलिए पिछले महीने पूरे पाकिस्तान में महिलाओं के लिए हुए मार्च 'औरत' में दोनों हिस्सा लेना चाहती थीं. रुमिसा कहती हैं कि अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठातीं अधिकांश महिलाओं के साथ होना एक बेहतरीन एहसास था.
देश के महिला अधिकार आंदोलनों में 'वुमेन मार्च' एक बड़ा आंदोलन था. इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं, यहां तक की एलजीबीटी समुदाय के लोग भी थे.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम ने 2018 में पाकिस्तान को दुनिया के 149 देशों में लैंगिक समानता के मामले में बदतर रैंकिंग में बताया था.
पाकिस्तान में महिलाओं को घरेलू हिंसा, ज़बरन शादी, लैंगिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है. यहां तक कि वो ऑनर किलिंग का शिकार भी हो सकती हैं.
मार्च में कुछ प्लेकार्ड और पोस्टरों में लैंगिक मुद्दों को उठाया गया था और इस संकीर्ण समाज में इसने एक तीखी बहस शुरु कर दी.
मार्च के आयोजकों में से एक मोनीज़ा कहा कहना है, "हम महिलाओं की सेक्सुअलिटी को निर्धारित करने को चुनौती दे रहे थे. धार्मिक समाज में एक धारणा होती है कि महिलाओं को खुद को ढंक कर और घर में रहना चाहिए. हम इसे चुनौती दे रहे हैं."
वो कहती हैं, "सड़क पर ऊंची आवाज़ में ऐसा करना लोगों को असहज कर गया. लोगों को लगा कि ये इस्लाम के लिए ख़तरा है, हालांकि, हमें ऐसा नहीं लगता. मुझे लगता है कि इस्लाम स्त्रीवादी धर्म है."
प्रदर्शन से घर वापस आते वक्त ही रुमिसा को लग गया था कि प्लेकार्ड के साथ उनकी तस्वीर वायरल हो गई है.
फ़ेसबुक पर एक टिप्पणी थी, "अपनी बेटियों के लिए ऐसे समाज की मुझे ज़रूरत नहीं." जबकि एक दूसरी टिप्पणी में कहा गया था, "मैं एक महिला हूं लेकिन निश्चित रूप से ये मुझे अच्छा नहीं लगा. " एक और टिप्पणी में कहा गया, "ये महिला दिवस था, कुतिया दिवस नहीं."
हालांकि, बहुत से लोगों ने इस प्लेकार्ड का समर्थन भी किया.
एक महिला ने लिखा, "सही में मैं नहीं समझ पा रही हूं कि पोस्ट पर लिखे शब्दों से लोग क्यों डरे हुए हैं जबकि उन्हें पाकिस्तान में महिलाओं की गुलामी पर शर्म आनी चाहिए."
रुमिसा को उसके जानने वालों के संदेश मिले, "हमें भरोसा नहीं हो रहा कि तुमने ऐसा किया. तुम एक अच्छे परिवार से आती हो."
दूर के रिश्तेदारों ने रुमिसा के मां बाप से कहा कि उसे इस तरह के प्रदर्शनों में नहीं जाने देना चाहिए.
हालांकि, तमाम दबावों के बावजूद परिजनों ने रुमिसा का साथ दिया.
प्रदर्शन के दौरान एक और पोस्टर पर लिखा था, "मेरा शरीर, मेरा चुनाव." समा टीवी चैनल के अनुसार, कराची के एक मौलवी ने इसकी निंदा की.
कथित रूप से ऑनलाइन वीडियो में डॉ. मंज़ूर अहमद मेंगल ने कहा, "मेरा शरीर, मेरा चुनाव...आपका शरीर आपका चुनाव...तो फिर पुरुषों का शरीर पुरुषों का चुनाव ...वे जिस पर चाहें चढ़ सकते हैं." उन पर रेप के लिए उकसाने के आरोप लगे.
मोनीज़ा कहती हैं, "उस प्रदर्शन के बाद रेप और जान से मारने की धमकी आम हो गई है." वो कहती हैं, "सोशल मीडिया पर आलोचनाओं के साथ ही अधिकांश आयोजकों को रेप की धमकी मिली."
यहां तक कि इस प्रदर्शन ने देश के स्त्रीवादी आंदोलनों में भी दरार पैदा कर दी. सोशल मीडिया पर की गई आलोचनाओं में कई स्वयंभू स्त्रीवादियों ने भी हिस्सा लिया. उनका कहना था, "ये जायज़ मुद्दा नहीं है, महिलाएं इस तरह व्यवहार करें, ये कोई तरीका नहीं है."
रुमिसा कहती हैं, "मेरे अपने दोस्त, जो खुद को फ़ेमिनिस्ट कहते हैं, उन्हें लगा कि ये पोस्टर गैरज़रूरी था."
एक प्रमुख स्त्रीवादी किश्वर नहीद ने कहा कि उन्हें लगता है कि रुमिसा और रशीदा का प्लेकार्ड और उनकी तरह के और पोस्टर परम्परा और मूल्यों का अपमान थे.
उन्होंने कहा कि जो सोचते हैं कि इस तरह के पोस्टरों से वो और अधिकार हासिल कर लेंगे, वो दिग्भ्रमित जिहादी हैं, जो सोचते हैं कि निर्दोष लोगों की हत्या कर वे स्वर्ग चले जाएंगे.
हालांकि, अख़बार डॉन में सादिया खत्री ने एक लेख लिख कर किश्वर पर स्त्रीवादियों को बदनाम करने का आरोप लगाया.
विवादों के बावजूद रुमिसा को पोस्टर बनाने पर अफसोस नहीं है, "मुझे खुशी है कि मेरे पोस्टर ने बहुत सारे लोगों का ध्यान आकर्षित किया."
वो कहती हैं, "इससे मुझे शर्म या डर नहीं है, यही कारण है कि हमने उस तरह के नारे का इस्तेमाल किया क्योंकि हम चाहते थे कि महिला मार्च और इससे जुड़े मुद्दों पर लोगों का ध्यान जाए."
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